बरेली, 19 अप्रैल:
बरेली पुलिस ने डिजिटल ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा करते हुए फर्जी UPI ऐप के जरिए दुकानदारों से ठगी करने वाले दो युवकों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने फोनपे जैसे दिखने वाला एक नकली ऐप बनाकर अब तक 30 से अधिक दुकानदारों को अपना शिकार बनाया था।
एसपी साउथ अंशिका वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि फतेहगंज पूर्वी थाना क्षेत्र के संयम प्रियदर्शी नामक एक मेडिकल स्टोर संचालक ने 17 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि दो युवक उनके स्टोर पर दवाएं लेने आए और फर्जी ऐप से भुगतान कर धोखाधड़ी की।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
दोनों युवकों ने दवाएं लेने के बाद QR कोड स्कैन किया और नकली ऐप से पेमेंट दिखाया। मेडिकल स्टोर संचालक के मोबाइल पर पेमेंट का फर्जी मैसेज भी आ गया, जिससे उन्हें लगा कि ट्रांजेक्शन सफल रहा। लेकिन बाद में जब उन्होंने बैंक अकाउंट चेक किया तो कोई राशि जमा नहीं हुई थी, जिससे धोखाधड़ी का संदेह हुआ और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया।
गिरफ्तार हुए आरोपी
पुलिस जांच के बाद फरीदपुर निवासी 19 वर्षीय समर्थ सिंह उर्फ क्रिस तोमर और महादेवी पुरम निवासी चाणक्य नईर उर्फ आदि गुप्ता को गिरफ्तार किया गया। दोनों इंटरमीडिएट पास हैं और तकनीकी जानकारी का इस्तेमाल करके फर्जी UPI ऐप बनाकर ठगी कर रहे थे।
तीसरा आरोपी युवराज सिंह चौहान (उम्र 20 वर्ष) फिलहाल फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
30 से ज्यादा दुकानदारों को बना चुके थे शिकार
मेडिकल स्टोर संचालक की शिकायत पर हुआ खुलासा, तीसरा आरोपी अब भी फरार
अपराध करने का तरीका
आरोपियों ने बताया कि वे एक नकली UPI ऐप का इस्तेमाल करते थे, जो असली फोनपे ऐप की तरह दिखता है। पेमेंट करते समय वे दुकानदारों के QR कोड को स्कैन करते और नकली ऐप से फर्जी ट्रांजेक्शन स्क्रीन दिखा देते थे। इससे दुकानदारों को लगता था कि भुगतान हो गया है, जबकि असली ट्रांजेक्शन होता ही नहीं था।
पुलिस टीम की सराहनीय भूमिका
इस मामले के खुलासे में थाना फतेहगंज पूर्वी के प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार, उप निरीक्षक भूपेंद्र सिंह, हेमंत कुमार, कांस्टेबल दीपक कुमार व रिंकू पाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
एसपी साउथ ने लोगों से अपील की है कि UPI पेमेंट के बाद बैंक खाते की पुष्टि अवश्य करें और किसी भी संदिग्ध ऐप या व्यवहार की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
